बरसात का मौसम न जाने क्यों खाने-पीने की यादों को ताज़ा कर देता है। इस मानसून में "कोचू पत्ता बाटा विद कुचो चिंगरी" की याद आ रही है — वो स्वादिष्ट व्यंजन जो सियालदह की भीड़-भाड़ वाली गलियों में छिपे कुछ खास छोटे-छोटे ढाबों में हफ़्ते के किसी एक खास दिन पर ही मिलता है। यह मेनू में नहीं होता। यह वही चीज़ है — “अगर जानते हो, तो जानते हो”।
सामग्री:
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150 ग्राम छोटे झींगे (कुचो चिंगरी)
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2-3 नये कोमल दूधिया कोचू के पत्ते (नवो दूधि कोचू पत्ता)
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हल्दी पाउडर
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1 चम्मच कलौंजी (कालो जीरा)
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2 लहसुन की कलियाँ
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2 हरी मिर्च
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1 छोटी लाल मिर्च
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सरसों का तेल
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नमक स्वादानुसार
विधि:
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झींगों को अच्छी तरह साफ़ करें और अलग रख दें।
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झींगों को थोड़ी हल्दी और नमक लगाकर सरसों के तेल में तब तक तलें जब तक उनका रंग सफेद और स्लेटी से बदलकर नारंगी-पीला न हो जाए।
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अब झींगों को तेल से निकाल कर टिशू पेपर या पेपर टॉवल पर रखें ताकि अतिरिक्त तेल निकल जाए।
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अब कोचू पत्तों को धोकर उसकी नसों को कुचल लें। फिर मिक्सर ग्राइंडर या सिल-बट्टे पर कोचू पत्ता, कलौंजी, लहसुन, हरी मिर्च और तले हुए झींगे को पीसकर पेस्ट बना लें।
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अब एक कढ़ाई में थोड़ा सा सरसों का तेल गरम करके उसमें लाल मिर्च को भूनें। फिर तैयार पेस्ट को डालकर हल्के हाथों से 2-3 मिनट तक भूनें जब तक इसका रंग थोड़ा बदल न जाए। स्वादानुसार नमक छिड़कें।
नोट: आखिरी स्टेप में बहुत कम सरसों का तेल इस्तेमाल करें ताकि पेस्ट में तेल तैरता हुआ न दिखे बल्कि उसमें अच्छी तरह से समा जाए।
बस! तैयार है वो बारिश वाला ज़ायका — जो हर किसी को नसीब नहीं होता।
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