📅 घटना की तारीख और स्थान
1 जुलाई 2018, सुबह का समय। दिल्ली के उत्तरी इलाके संत नगर, बुराड़ी में स्थित एक मकान से एक सनसनीखेज़ खबर आई — एक ही परिवार के 11 सदस्य रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पाए गए।
मृतक परिवार – भाटिया परिवार
भाटिया परिवार मूल रूप से राजस्थान के चुरू ज़िले का रहने वाला था।
परिवार के सदस्य:
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नारायण देवी (दादी, उम्र 77 वर्ष) – ज़मीन पर मृत पाई गईं
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भूपेंद्र (बंटी) – बड़े बेटे
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सविता – भूपेंद्र की पत्नी
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शिवम – भूपेंद्र का बेटा
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टीना – भूपेंद्र की बेटी
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ललित भाटिया – छोटे बेटे
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टीना (ललित की पत्नी)
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प्रियंका – ललित की बेटी (जल्दी शादी होने वाली थी)
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अन्य रिश्तेदार और बच्चे — सभी एक साथ घर में रह रहे थे
🚨 घटना की खोज
सुबह 7 बजे के करीब पड़ोसी ने देखा कि भाटिया परिवार की दुकान (ग्रॉसरी) समय पर नहीं खुली।
चिंतित होकर एक पड़ोसी घर में घुसा और जो देखा, उससे पूरा मोहल्ला दहशत में आ गया—
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घर की छत के लोहे के ग्रिल से 10 लोग एक ही पोजीशन में लटके हुए थे।
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उनके चेहरे, आँखें और मुँह कपड़े और पट्टियों से ढंके थे।
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नारायण देवी का शव ड्राइंग रूम में ज़मीन पर पड़ा था।
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पूरे घर में कोई संघर्ष, चोरी या हिंसा के निशान नहीं मिले।
📜 डायरी का राज़
पुलिस जांच में घर से 11 साल पुरानी डायरी मिली, जिसमें हर साल अजीब तरह के नोट्स लिखे गए थे।
इनमें लिखा था:
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“आँखें बंद कर, हाथ पीछे बाँधकर, मुंह में कपड़ा रखकर फांसी की मुद्रा में लटकना।”
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“यह बंधन प्रयोग है, जिससे मोक्ष मिलेगा।”
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“पापा (मृत पिता) आत्मा के रूप में लौट आएंगे और हमें आशीर्वाद देंगे।”
डायरी से पता चला कि परिवार के छोटे बेटे ललित को यह भ्रम था कि उनके मृत पिता की आत्मा उनसे बात करती है और निर्देश देती है।
🧠 मानसिक स्वास्थ्य पहलू
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मनोवैज्ञानिकों ने इसे शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर (Shared Delusional Disorder) कहा, जिसमें एक व्यक्ति का भ्रम पूरे परिवार में फैल जाता है।
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ललित पहले भी एक हादसे के बाद मानसिक तौर पर कमजोर हो चुके थे और उन्होंने बोलना लगभग बंद कर दिया था।
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उन्होंने परिवार को यह विश्वास दिलाया कि यह "आध्यात्मिक अनुष्ठान" है, जिससे वे मुक्ति पाएंगे।
📅 घटना से पहले की टाइमलाइन
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2007 से: डायरी में आध्यात्मिक निर्देश लिखने की शुरुआत
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2012-2018: परिवार पूरी तरह ललित के “निर्देशों” के अनुसार जीने लगा
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29-30 जून 2018: डायरी में "बंधन प्रयोग" की आखिरी तैयारी लिखी गई
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30 जून रात: परिवार ने पूजा-पाठ और प्रैक्टिस की
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1 जुलाई तड़के: सभी सदस्य एक साथ रिवाज़ के अनुसार पोजीशन में खड़े हुए, और फिर फांसी की मुद्रा में लटक गए
🎥 नेटफ्लिक्स डॉक्यू-सीरीज़ – House of Secrets: The Burari Deaths
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3 एपिसोड की सीरीज़ (2021)
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पुलिस, पत्रकार, पड़ोसी, मनोवैज्ञानिक और परिवार के जानकारों के इंटरव्यू
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असली फोटो, वीडियो और डायरी के अंश
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दिखाया गया कि कैसे एक सभ्य, खुशहाल परिवार धीरे-धीरे अंधविश्वास और मानसिक बीमारी में फंसकर मौत तक पहुँच गया
📌 विवाद और थ्योरीज़
हालांकि पुलिस ने इसे सामूहिक आत्महत्या (Mass Suicide) का मामला माना, लेकिन कुछ लोग अब भी मानते हैं:
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हो सकता है कि यह हत्या को आत्महत्या का रूप दिया गया हो
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या फिर परिवार को जबरदस्ती इस अनुष्ठान में शामिल किया गया हो
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कुछ का मानना है कि यह गहरी धार्मिक मान्यता और मानसिक बीमारी का मेल था
निष्कर्ष
बुराड़ी कांड हमें यह सिखाता है कि अंधविश्वास और मानसिक बीमारी का संयोजन कितना खतरनाक हो सकता है।
एक समझदार, पढ़ा-लिखा परिवार भी अगर एक ही व्यक्ति के भ्रम में फँस जाए, तो वह पूरी तरह विनाश की ओर जा सकता है।
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